OMG ! दाल हुई बेलगाम, 200 रुपये किलो तक पहुंची कीमत

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OMG ! दाल हुई बेलगाम, 200 रुपये किलो तक पहुंची कीमत

अभी तक इस उद्देश्य के लिए 1.15 लाख टन दलहन की खरीद की गई है और इसे सस्ते दर पर खुदरा वितरण के लिए राज्यों को दिया जा रहा है।

नई दिल्ली। कभी दाल-रोटी को गरीब की थाली बताया जाता था, लेकिन आज ऐसा नहीं है। आज दालाें की कीमत आसमान छू रही हैं। दलहन की कीमत 16 जून को 200 रुपए किलो के करीब पहुंच गई। इसको देखते हुए सरकार ने दालों की खुदरा बिक्री 120 रुपए किलो पर करने के लिए इसके बफर स्टॉक की सीमा पांच गुना बढ़ाकर आठ लाख टन करने का फैसला किया है। हालांकि ऐसे समय में जब कई राज्यों ने सस्ते दर पर खुदरा वितरण करने के लिहाज से दलहन के वितरण में कोई रुचि नहीं दिखाई है, यह योजना कितनी सफल होगी यह अभी समय ही बताएगा।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा रखे जाने वाले आंकड़ों के अनुसार उड़द दाल की अधिकतम खुदरा कीमत 196 रुपए किलो, तुअर दाल की अधिकतम खुदरा कीमत 166 रुपए किलो, मूंग दाल की अधिकतम खुदरा कीमत 120 रुपए किलो, मसूर दाल 105 रुपए किलो और चना दाल की खुदरा कीमत 93 रुपए किलो है। इकनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक खाद्य मंत्रालय ने बुधवार देर रात जारी एक विज्ञप्ति में कहा, ‘एक महत्वपूर्ण फैसले में सरकार ने बफर स्टॉक की सीमा को 1.5 लाख टन से बढ़ाकर आठ लाख टन करने का फैसला किया है।’

वित्तमंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला किया गया जो इस मंत्रालय द्वारा स्थापित किए गए अंतर मंत्रालीय समिति की सिफारिशों के अनुरूप है। आरंभिक लक्ष्य इस वर्ष दलहन का 1.5 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने का था। अभी तक इस उद्देश्य के लिए 1.15 लाख टन दलहन की खरीद की गई है और इसे सस्ते दर पर खुदरा वितरण के लिए राज्यों को दिया जा रहा है।

इस बफर स्टॉक का निर्माण मूल्य स्थिरीकरण कोष का इस्तेमाल करते हुए बाजार दर पर किसानों से दलहनों की सीधी खरीद करने के जरिये किया जा रहा है। इस स्टॉक को राज्यों को 120 रुपए प्रति किलो की सस्ती दर पर खुदरा वितरण करने के लिए राज्यों को जारी किया जा रहा है। राज्यों से अपेक्षा की गई है कि वे इसका प्रसंस्करण कर खुदरा बाजार में बेचें जिसकी कीमत किसी हालत में 120 रुपए प्रति किलो से अधिक न हो। लेकिन कई राज्यों ने इस प्रयास के प्रति कोई रुचि नहीं जताई है।

अभी तक आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों को 10,000 टन दलहन को जारी किया गया है। खाद्य मंत्री रामविलास पासवान का कहना है कि मूल्य नियंत्रण करने की बराबर की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की भी है और उन्हें इसके लिए प्रभावी कदम उठाना चाहिए। दलहन की मांग और आपूर्ति के बीच करीब 76 लाख टन के अंतर को पाटने के लिए बफर स्टॉक का निर्माण घरेलू खरीद करने के साथ साथ आयात के जरिये किया जा रहा है। फसल वर्ष 2015-16 (जुलाई से जून) में दलहनों का उत्पादन घटकर एक करोड़ 70.6 लाख टन रह जाने का अनुमान है जिसका कारण लगातार दो वर्ष सूखे का पड़ना है जबकि दलहन की मांग 2.35 लाख टन पर कायम है।

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