GST बिल से आपको होगा फायदा या नुकसान, समझिए – पूरा गणित
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जीएसटी के लागू होने से हर सामान और हर सेवा पर सिर्फ एक टैक्स लगेगा यानी वैट, एक्साइज और सर्विस टैक्स की जगह एक ही टैक्स लगेगा।
नई दिल्ली। लोकसभा में पास होने के बाद से जीएसटी बिल राज्यसभा में फंंसा हुआ है। राज्यसभा में जीएसटी बिल पास कराने को लेकर विपक्ष के साथ कई स्तरों पर बातचीत के बाद सरकार बुधवार को इस बिल को राज्यसभा में पेश करने जा रही है।
जीएसटी बिल को लेकर आप भी असमंजस में होंगे कि आखिर इससे लोगों को फायदा होगा या नुकसान तो आज हम आपको जीएसटी का पूरा गणित बताने जा रहे हैं।
जीएसटी क्या है?
जीएसटी के लागू होने से हर सामान और हर सेवा पर सिर्फ एक टैक्स लगेगा यानी वैट, एक्साइज और सर्विस टैक्स की जगह एक ही टैक्स लगेगा। आम लोगों को जीएसटी से सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि पूरे देश में सामान की खरीद पर एक जैसा ही टैक्स चुकाना होगा। यानी पूरे देश में किसी भी सामान की कीमत एक ही रहेगी। फिलहाल कई राज्यों में मिलने वाले एक ही सामान पर अलग अलग टैक्स लगता है।
उदाहरण के तौर पर जैसे आप कोई कार अगर दिल्ली में खरीदते हैं तो उसकी कीमत अलग होती है, वहीं किसी और राज्य में उसी कार को खरीदने के लिए अलग कीमत चुकानी पड़ती है। लेकिन जीएसटी लागू होने से कोई भी सामान किसी भी राज्य में एक ही दाम पर मिलेगा।
जीएसटी बिल का विपक्ष क्यों कर रहा है विरोध?
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस की मांग है कि जीएसटी की दर अभी से तय कर दी जाए लेकिन व्यवहारिक तौर पर ये संभव नहीं है। जानकारों का मानना है कि सरकार जीएसटी की दर 22-24 फीसदी तय कर सकती है और अगर ऐसा होता है तो बहुत सारी वस्तुओं की कीमत कम होने की बजाय बढ़ जाएंंगी।
उदाहरण के तौर पर अभी आप 1000 रूपये का मोबाइल फोन खरीदते हैं तो आपको 14 फीसदी सर्विस टैक्स और 0.05 फीसदी स्वच्छ भारत सेस देना पड़ता है यानि आप 1000 रूपये के मोबाइल के लिए 1145 रूपये का भुगतान करते हैं लेकिन जीएसटी की दर अगर 24 फीसदी तय हो जाती है तो आपको इसी फोन के बदले 1240 रूपये देने होंगे।
अगर आप बिजनेस करते हैं तो आप कुछ चीजों को छोड़कर ज्यादा से ज्यादा 12.5 फीसदी एक्साइज ड्यूटी का भुगतान करते हैं। इसके अलावा राज्य के हिसाब से आप वैट भी भरते हैं वहीं चुंगी मिलाकर पूरा टैक्स करीब 30 फीसदी तक पहुंच जाता है लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद आपको सिर्फ 22 या 24 फीसदी टैक्स ही भरना पड़ेगा।
जीएसटी में तीन तरह के टैक्स प्रस्तावित हैं
जीएसटी के लिए तीन तरह के टैक्स प्रस्तावित हैं, सेंट्रल, स्टेट और इंटीग्रेटेड टैक्स। इस ढांचे के तहत पूरे देश में माल बेचने या सप्लाई करने वालों को हर राज्य में तीन अलग-अलग रजिस्ट्रेशन कराने होंगे और अलग-अलग रिटर्न भरते हुए टैक्स का हिसाब रखना होगा। कोई कंपनी कई तरह के कारोबार करती है तो उसे हर कारोबार का अलग रजिस्ट्रेशन कराना होगा ।
राज्यों को नुकसान का डर
जीएसटी लागू होने से केंद्र को तो फायदा होगा लेकिन राज्यों को इस बात का डर था कि इससे उन्हें नुकसान होगा क्योंकि इसके बाद वे कई तरह के टैक्स नहीं वसूले पाएंगे जिससे उनकी कमाई कम हो जाएगी। गौरतलब है कि पेट्रोल व डीजल से तो कई राज्यों का आधा बजट चलता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने राज्यों को राहत देते हुए मंजूरी दे दी है कि वे इन वस्तुओं पर शुरुआती सालों में टैक्स लेते रहें. राज्यों का जो भी नुकसान होगा, केंद्र उसकी भरपाई पांच साल तक करेगा।
2011 के बिल और संशोधित बिल में अंतर
1. पहले GST से राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई का इंतजाम नहीं किया गया था. अब राज्यों को 5 साल तक मुआवजा देने का प्रावधान है।
2. पहले डीजल-पेट्रोल और शराब को इस बिल से बाहर रखा गया था. जबकि संशोधन के बाद तंबाकू को भी बिल से बाहर कर दिया गया है।
3. संशोधित बिल में 5 साल तक एक फीसदी टैक्स लगाने की व्यवस्था है। इसका इस्तेमाल उस राज्य को अतिरिक्त मुआवजा देने के लिए होगा, जहां किसी चीज का प्रोडक्शन होता है. पहले वाले बिल में इसकी व्यवस्था नहीं थी।
4. संशोधित बिल के मुताबिक, GST काउंसिल में वोटिंग में एक चौथाई सदस्यों के समर्थन से फैसले हो सकते हैं। जबकि मूल बिल में आम सहमति से फैसला लिए जाने की व्यवस्था थी।
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