GST काउंसिल को अगले हफ्ते मंजूरी दे सकती है कैबिनेट
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राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने कहा कि अगली कैबिनेट बैठक जब भी हो जीएसटी काउंसिल के गठन के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लिए जरूरी संविधान (122वें) संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद सरकार जीएसटी काउंसिल के गठन की दिशा में कदम उठाने जा रही है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में अगले सप्ताह होने वाली कैबिनेट की बैठक में जीएसटी काउंसिल के गठन के प्रस्ताव पर मुहर लगायी जा सकती है। यह काउंसिल ही देश में जीएसटी की दरें तय करेगी और जीएसटी मॉडल बिलों के मसौदे को अंतिम रूप देगी। जीएसटी काउंसिल के अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री होंगे और सभी राज्यों के वित्त मंत्री इसमें बतौर सदस्य शामिल होंगे।
राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने कहा कि अगली कैबिनेट बैठक जब भी हो जीएसटी काउंसिल के गठन के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी के दायरे से कौन सी सेवाएं या वस्तुएं बाहर रहेंगी अभी इस बारे में कोई फैसला नहीं हुआ है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली समिति ने ‘मेरिट गुड्स’ की श्रेणी में कुछ वस्तुओं को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने या उन पर बहुत कम टैक्स लगाने के संबंध में सिफारिशें दी हैं। इन वस्तुओं मंे अधिकांशत: अनाज, खाद्य तेल, सब्जियां और ईधन जैसी रोजमर्रा की वस्तुएं शामिल हैं। सूत्रों का कहना है कि जीएसटी काउंसिल के गठन के बाद इस महीने के अंत तक इसकी पहली बैठक हो सकती है।
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सरकार ने एक अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य रखा है। जीएसटी लागू होने पर वैट, सेवा कर केंद्रीय बिक्री कर, अतिरिक्त आयात शुल्क सहित केंद्र और राज्यों के विभिन्न प्रकार के परोक्ष कर समाप्त हो जाएंगे। हाल ही में जीएसटी के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक को संसद तथा उसके बाद राज्यों की विधान सभाओं ने मंजूरी दी है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बृहस्पतिवार को इस विधेयक पर अपनी मुहर लगायी। हालांकि जीएसटी को लागू करने का मुख्य कार्य अब शुरु हुआ है। इस दिशा में सबसे बड़ी चुनौती केंद्र और राज्यों को जीएसटी की दर ऐसे स्तर पर तय करनी होगी जिससे कि राजस्व की हानि न हो। ऐसा करते समय सरकार को महंगाई को भी ध्यान में रखना होगा।
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