सावन का तीसरा सोमवार आज, देशभर के मंदिरों में उमड़ी शिवभक्तों की भीड़

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सावन का तीसरा सोमवार आज, देशभर के मंदिरों में उमड़ी शिवभक्तों की भीड़

आज सावन का तीसरा सोमवार है और इस अवसर पर देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है।

नई दिल्ली। सावन के तीसरे सोमवार पर आज शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। देश के विभिन्न भागों में सुबह से ही शिव मंदिरों में लंबी-लंबी कतारें देखी जा रही हैं। भगवान शिव के तीसरे स्वरुप की उपासना के लिए सावन का तीसरा सोमवार सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की विशेष आराधना करने पर भक्तों को मनवांछित फल प्राप्त होता है।

उज्जैन के दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में भी श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लगी रही। हर कोई भगवान महाकाल की एक झलक पाने को बेताब है। शिव भक्तों की संख्या को देखते हुए आज उनके गर्भगृह में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।

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तीसरे सोमवार का महत्व
सावन के तीसरे सोमवार पर भगवान शिव के तीन स्वरुपों की पूजा की जाती है। ज्योतिषों के अनुसार इस सृष्टि में तीन गुण हैं सत, रज और तम इन तीन गुणों को मिलाकर ही सृष्टि का निर्माण हुआ है। इस पर स्वयं भगवान शिव संचालन करते हैं। भगवान शिव के नीलकंठ, नटराज व मृत्युजंय इन तीन स्वरुपों की विशेष आराधना करना चाहिए। शिवजी अपने इन्हीं स्वरुपों के जरिए पूर्ण सृष्टि का भरण-पोषण करते हैं। इसलिए शिव भक्तों के लिए यह सोमवार विशेष लाभकारी माना गया है।

इस अवधि में विवाह योग्य लड़कियां इच्छित वर पाने के लिए सावन के सोमवारों पर व्रत रखती है इसमें भगवान शंकर के अलावा शिव परिवार अर्थात माता पार्वती , कार्तिकेय , नन्दी और गणेश जी की भी पूजा की जाती है |

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कैसे करे पूजन

श्रावण के प्रथम सोमवार प्रात: और सायकाल स्नान के बाद शिव परिवार की पूजा करे | पूर्वमुखी या उत्तर दिशा की ओर मुख करके ,आसन पर बैठकर एक ओर पंचामृत अर्थात दूध ,दही , घी ,शक्कर एवं गंगाजल रख ले | शिव परिवार को पंचामृत से स्नान करवाए | फिर चन्दन ,फुल , फल ,सुगंध ,रोली और वस्त्र अदि अर्पित करे |

महामृत्युंजय स्वरुप
भगवान शिव का दूसरा नाम मृत्युंजय भी है। जब किसी भी तरह के कर्मकांड व पूजा-आराधना से कष्टों का निवारण न हो पाए, तो ऐसे में महामृत्युंजय मंत्र का जाप एक ऐसा अमोघ बाण है जो सभी कष्टों से छुटकारा दिलाकर जीवन सुखमय बनाता है। मृत्युंजय शिव मृत्यु को जीतने वाले हैं। शिव के साधक को न तो मृत्यु का भय रहता है, न रोग का और न ही शोक का। शिव तत्व उनके मन को भक्ति और शक्ति का सामर्थय देता है। शिव तत्व का ध्यान महामृत्युंजय मंत्र के जरिए किया जाता है। इस मंत्र के जाप से भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। शास्त्रों में इस मंत्र को कई कष्टों का निवारक बताया गया है।

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