मिस्त्री ने टाटा पर लगाया साजिश करने का आरोप
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देश के सबसे प्रतिष्ठित उद्योग समूह के चेयरमैन को इस तरह से बर्खास्त किया जाएगा, अगर किसी ने ऐसा नहीं सोचा था तो किसी ने यह भी नहीं सोचा होगा कि बर्खास्तगी के बाद
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : देश के सबसे प्रतिष्ठित उद्योग समूह के चेयरमैन को इस तरह से बर्खास्त किया जाएगा, अगर किसी ने ऐसा नहीं सोचा था तो किसी ने यह भी नहीं सोचा होगा कि बर्खास्तगी के बाद साइरस मिस्त्री वह करेंगे जो उन्होंने बुधवार को किया है।
टाटा समूह के चेयरमैन पद से निष्कासन के दो दिन बाद मिस्त्री ने उद्योग समूह के निदेशक बोर्ड को बुधवार को सनसनीखेज पत्र लिखा। यह पत्र ने न सिर्फ टाटा समूह में पिछले कुछ महीनों से चल रहे विवाद को सामने ला दिया है बल्कि एक ईमानदार और कानून का पालन करने वाले उद्योग समूह के तौर पर इसकी इमेज को भी तार-तार कर दिया है। मिस्त्री के पत्र ने टाटा समूह के ब्रांड को जो क्षति पहुंचाई है उसकी भरपाई करना आसान नहीं होगा।
मिस्त्री ने ई-मेल के जरिये टाटा समूह के निदेशक बोर्ड के समक्ष अपनी बात रखी है। निष्कासन के फैसले को उन्होंने शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकने वाला बताया है। पांच पन्नों का यह पत्र एक तरह से जब से मिस्त्री ने चेयरमैन का पदभार संभाला, तब से अब तक का कच्चा चिट्ठा है।
अपने निष्कासन के तरीके पर सवाल उठाते हुए मिस्त्री ने लिखा है कि उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया गया जो टाटा समूह के नियमों के खिलाफ है। उन्होंने लिखा है कि ऐसा कॉरपोरेट इतिहास में शायद ही हुआ होगा। साफ है कि मिस्त्री ने टाटा निदेशक बोर्ड की तरफ से दी गई इस जानकारी को खारिज कर दिया है कि निष्कासन से पहले उनसे बात की गई थी।
इसके साथ ही मिस्त्री ने यह भी कहा है कि उन्हें बतौर चेयरमैन भी पूरी तरह से आजादी से काम नहीं करने दिया गया। यह आरोप कारपोरेट गवर्नेस को लेकर टाटा समूह की परंपरा पर बेहद गंभीर सवाल खड़ा करता है।
पहले ही बन गया था छत्तीस का आंकड़ा
माना जाता है कि मिस्त्री का चयन मौजूदा अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा की पहल पर ही किया गया था। लेकिन मिस्त्री की तरफ से लिखा गया ई-मेल बताता है कि चेयरमैन का पदभार संभालने के बाद से दोनों के बीच छत्तीस का आंकड़ा बन गया था।
मिस्त्री ने लिखा है कि उन्हें तो वसीयत में रतन टाटा के गलत फैसलों का बोझ मिला था। इसमें उन्होंने नैनो की असफलता और कोरस के अधिग्रहण का जिक्र किया है। ये दोनों काम रतन टाटा की अगुआई में हुए थे और ये दोनों टाटा समूह के इतिहास में सबसे ज्यादा घाटे वाले सौदे साबित हुए हैं।
मिस्त्री ने लिखा है, ‘भावनात्मक मुद्दों की वजह से हम कई बार अहम फैसले नहीं कर सके।’ सनद रहे कि रतन टाटा नैनो कार को हमेशा से अपने समूह के लिए एक भावनात्मक फैसला बताते रहे हैं।
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मैं किसी से कमतर नहीं
ई-मेल में मिस्त्री ने अपने कार्यकाल के दौरान किए गए तमाम फैसलों को जोरदार तरीके से रखा है। माना जाता है कि टाटा समूह के निदेशक बोर्ड ने खराब प्रदर्शन की वजह से मिस्त्री को हटाया है लेकिन मिस्त्री ने आंकड़ों के जरिये यह साबित किया है कि उनका प्रदर्शन पहले के प्रमुखों से कमतर नहीं था।
कई लोग मानते हैं कि जिस तरह से मिस्त्री ने दूरसंचार कारोबार को नजरअंदाज किया और जापान की दूरसंचार कंपनी डोकोमो के साथ गठबंधन को लेकर फैसले किए उससे उन्हें निकालने की राह निकली। लेकिन मिस्त्री ने कहा है कि दूरसंचार सेवा को लेकर उनके फैसले से तो कंपनी की 5-6 अरब डॉलर की राशि बची है।
टाटा और डोकोमो के बीच अभी मुआवजे की राशि के लिए कानूनी विवाद चल रहा है। डोकोमो टाटा पर समझौते का पालन नहीं करने पर भारी भरकम राशि के भुगतान की बात कर रहा है। मिस्त्री ने कहा है कि यह समझौता भी पूर्व चेयरमैन के कार्यकाल में ही किया गया है।
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