दस साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार निकट आयी GST की घड़ी

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दस साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार निकट आयी GST की घड़ी

काफी लंबे समय तक इंतजार के बाद आखिरकर जीएसटी को मूर्तरूप देने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पारित होने की ऐतिहासिक घड़ी पास आ गई है। राज्यसभा में बिल को पेश किया जाएगा।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्लीबहु-प्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को मूर्तरूप देने के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक के पारित होने की ऐतिहासिक घड़ी निकट आ गयी है। लंबे अरसे से संसद में लंबित पड़े इस 122वें संविधान संशोधन विधेयक को सरकार आज पारित होने के लिए राज्य सभा में रखेगी। माना जा रहा है कि मुख्य मांगे स्वीकार किए जाने के बाद कांग्रेस पार्टी ऊपरी सदन में जीएसटी की राह नहीं रोकेगी। इस बीच सरकार ने राज्यों तथा विभिन्न दलों के साथ हुए परामर्श के बाद इस विधेयक में प्रस्तावित बदलाव आधिकारिक संशोधनों के रूप में राज्य सभा सचिवालय को सौंप दिए हैं।

संशोधनों के साथ पेश होगा जीएसटी बिल

राज्य सभा इस विधेयक में जिन महत्वपूर्ण बदलावों को मंजूरी देगी उनमें एक प्रतिशत अतिरिक्त कर के प्रस्ताव को विधेयक से हटाने तथा जीएसटी लागू होने पर राज्यों को होने वाली राजस्व हानि की पांच साल तक भरपाई का वैधानिक प्रावधान करना शामिल हैं। जीएसटी का विचार वर्ष 2006-07 के आम बजट में आया था और उस समय इसे एक अप्रैल 2010 से लागू करने का लक्ष्य भी रखा गया लेकिन राजनीतिक तौर पर आम सहमति न बनने के कारण इसे लागू करने की तारीख बार-बार आगे खिसकती गयी।

राज्यसभा में पार्टियों की स्थिति

राजग(NDA)- 82

यूपीए- 66

अन्य- 96

राज्यसभा में कुल सांसदों की संख्या 245 है जिसमें एक सीट रिक्त है।

2006-07 के बजट में आया जीएसटी का विचार

जीएसटी का विचार वर्ष 2006-07 के दौरान आम बजट में आया था। उस समय इसे 1 अप्रैल 2010 से लागू करने का लक्ष्य रखा गया। लेकिन राजनीतिक तौर पर आम सहमति न बन पाने की वजह से इसे लागू करने की तारीख बार-बार खिसकती गई। सरकार ने फिलहाल जीएसटी को अगले साल 1 अप्रैल 2017 से लागू करने का लक्ष्य रखा है। जीएसटी लागू हो जाने के बाद केंद्र और राज्यों के कई परोक्ष कर समाप्त हो जाएंगे।

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2006-07 वित्त मंत्री रखेंगे संविधान संशोधन (122वां) विधेयक, 2015

वित्त मंत्री अरुण जेटली जीएसटी के लिए जरूरी संविधान संशोधन (122वां) विधेयक, 2015 राज्य सभा में चर्चा और पारित कराने के लिए रखेंगे। राज्य सभा में वैसे तो सरकार अल्पमत में है लेकिन जीएसटी का समर्थन कर रहे दलों का पलड़ा संख्याबल की दृष्टि से भारी है। हालांकि कांग्रेस की मांगे काफी हद तक माने जाने के बाद जीएसटी की राह आसान हो गयी है।

जेटली ने इस विधेयक में आधा दर्जन बदलावों के लिए आधिकारिक संशोधन भी पेश करेंगे जो सरकार ने विभिन्न राजनीतिक दलों और राज्यों के साथ परामर्श के आधार पर तैयार किए हैं। इनमें एक महत्वपूर्ण संशोधन यह है कि जीएसटी लागू होने के बाद केंद्र और राज्यों तथा राज्यों के बीच आपसी विवाद होने की स्थिति में निर्णय करने वाले तंत्र की स्थापना जीएसटी परिषद करेगी। 2014 के विधेयक में इस संबंध में स्पष्ट प्रावधान नहीं था।दूसरा संशोधन एक प्रतिशत अतिरिक्त मैन्युफैक्चरिंग टैक्स को हटाने के संबंध में है। कांग्रेस की तीन मांगों मंे से एक मांग इस अतिरिक्त टैक्स को हटाने के संबंध में ही थी।

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इस तरह इसे सरकार ने स्वीकार कर लिया है। हालांकि जीएसटी दरों की अधिकतम सीमा संविधान में ही तय करने की कांग्रेस की मांग को सरकार ने स्वीकार नहीं किया है। राज्यों ने इसे खारिज कर दिया था। एक और महत्वपूर्ण संशोधन यह है कि आइटीएसटी (इंटीग्रेटेड जीएसटी) का नाम बदलकर अंतरराज्यीय व्यापार पर लगने वाला जीएसटी कर दिया है। यह एक राज्य से दूसरे राज्य को सेवा या सामान के व्यापार पर लगेगा। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि आइजीएसटी में राज्यों की हिस्सेदारी भारत की संचित निधि का हिस्सा नहीं होगी। साथ ही केंद्र को जीसीएसटी और आइजीएसटी के रूप में जो राशि प्राप्त होगी उसका वितरण केंद्र और राज्यों के बीच में होगा।

मई 2015 में लोकसभा से पारित है जीएसटी बिल

उल्लेखनीय है कि जीएसटी के लिए जरूरी 122वां संविधान संशोधन विधेयक को लोक सभा मई 2015 में पारित कर चुकी है। इसके बाद यह विधेयक राज्य सभा की प्रवर समिति के पास भेज दिया गया। प्रवर समिति ने जुलाई 2015 में इस पर अपनी रिपोर्ट दी। तब से यह विधेयक राज्य सभा की मंजूरी के लिए इंतजार कर रहा था। अब राज्य सभा से पारित होने के बाद से आधे राज्यों के विधानमंडल से भी पारित कराना जरूरी होगा। इस तरह यह संविधान संशोधन मंजूर होने के बाद जीएसटी लागू करने का रास्ता साफ हो जाएगा।

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