क्या आप जानते हैं कि आम आदमी से जुड़ी महंगाई को कैसे नापती है सरकार, जानिए

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क्या आप जानते हैं कि आम आदमी से जुड़ी महंगाई को कैसे नापती है सरकार, जानिए

बाजार में आपको भले ही महंगाई कम होती न जान पड़े, लेकिन सरकारी आंकड़ों में महंगाई कम होती दिख रही है। क्या आप जानते हैं कि आम आदमी से सीधा सरोकार रखने वाली महंगाई को सरकार किस तरह स

नई दिल्ली: सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सितंबर महीने में रिटेल महंगाई (सीपीआई) घटकर 4.31 फीसदी के स्तर पर आ गई है, जो कि बीते 13 महीने का निचला स्तर है। बाजार में आपको भले ही महंगाई कम होती न जान पड़े, लेकिन सरकारी आंकड़ों में महंगाई कम होती दिख रही है। क्या आप जानते हैं कि आम आदमी से सीधा सरोकार रखने वाली महंगाई को सरकार किस तरह से नापती है? आज दैनिक जागरण की बिजनेस टीम अपनी खबर के माध्यम से आपको यही बताने की कोशिश करेगी।

भारत में महंगाई दो तरह के इंडेक्स से तय होती है:

महंगाई को नापने के कई तरीके हैं, लेकिन भारत में इसको मापने के लिए दो प्रमाणिक तरीके अपनाए जाते हैं। हमारे देश में महंगाई दो तरह के सूचकांकों में होने वाले उतार-चढ़ाव को देखकर तय होती है।

1. होल सेल प्राइज इंडेक्स (थोक मूल्य सूचकांक-WPI)/ थोक महंगाई:

थोक मूल्य सूचकांक के बढ़ने का सीधा मतलब महंगाई में तेजी और इसके गिरने का मतलब महंगाई में कमी आना होता है। इस सूचकांक के अंतर्गत 435 अलग-अलग वस्तुओं का लेखा-जोखा रखा जाता है, जिसमे हर एक वस्तु को एक वजन दिया गया है। इसी आधार पर तय होता है कि किन-2 वस्तुओं की हमारी जिंदगी में अहमियत है। आपको बता दें कि भारत में अब तक नीति-निर्माण में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर का ही इस्तेमाल किया जाता रहा है। थोक बाजार में वस्तुओं के समूह की कीमतों में हर साल कितनी बढ़ोत्तरी हुई है इसका आकलन महंगाई के थोक मूल्य सूचकांक के जरिए होता है। हमारे देश में इसकी गणना तीन तरह की महंगाई दर, प्राथमिक वस्तुओं, ईंधन और विनिर्मित वस्तुओं की महंगाई में इजाफे के आधार पर की जाती है।

2. कन्ज्यूमर प्राइज इंडेक्स (खुदरा मूल्य सूचकांक-CPI)/ रिटेल महंगाई:

रीटेल महंगाई दर (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) आम जनता से सीधा सरोकार रखने वाली महंगाई दर होती है और यह रीटेल (खुदरा) कीमतों के आधार पर तय की जाती है। रीटेल महंगाई दर में खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी 45 फीसदी के करीब है। अधिकांश देशों में रीटेल महंगाई के आधार पर ही मौद्रिक नीतियों का निर्माण किया जाता है। इसी को मद्देनजर रखते हुए अब भारत में भी इस सूचकांक को तवज्जो दी जाने लगी है। आरबीआई भी इस पर हामी भर चुकी है कि ब्याज दरें तय करने से पहले रिलेट महंगाई दर पर गौर किया जाएगा।

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