किसानों को संकट से उबारेगी प्रधानमंत्री 'मुद्रा' योजना

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किसानों को संकट से उबारेगी प्रधानमंत्री ‘मुद्रा’ योजना

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत नॉन-कारपोरेट क्षेत्र में लघु व्यवसायिक गतिविधियों के लिए तीन प्रकार का लोन बिना कुछ गिरवी रखे दिया जाता है

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कभी फसल चौपट होने तो कभी अधिक उत्पादन के चलते संकट में फंसे किसानों को उबारने के लिए सरकार ‘मुद्रा’ योजना को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करेगी। केंद्र इस योजना के जरिए गांवों में ऐसी गैर-कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देगा जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी होती रहे ताकि अचानक किसी संकट के चलते उनकी आमदनी अप्रत्याशित रूप से न गिरे।

इसके तहत प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के जरिए गांवों में सूक्ष्म और लघु स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण, ग्रामीण परिवहन सेवा और टैक्सटाइल व हेंडलूम आधारित गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि खेती पर अचानक संकट आने से किसानों का बजट बिगड़ जाता है। इसलिए मंत्रालय ने मुद्रा योजना के तहत ऐसी गतिविधियों को फंड करने की दिशा में कदम उठाया है जिससे किसानों को अतिरिक्त आय हो सके।

फिलहाल किसानों की मात्र 8 प्रतिशत आय ही गैर-कृषि कारोबार से होती है। ऐसे में इस क्षेत्र से आय बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं।सूत्रों ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन सेवा के लिए ई रिक्शा, ऑटो रिक्शा, सामान ढुलाई के लिए छोटे व्यवसायिक वाहन व टैक्सी खरीदने, सैलून व ब्यूटीपार्लर, ड्राइक्लीन और मोटरसाइकिल रिपेयर की दुकानों के लिए भी ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही खाद्य उत्पाद बनाने पर जोर दिया जाएगा जिनमें पापड़ बनाना, अचार बनाना, मिठाई दुकानें खोलना, आइसक्रीम, बिस्कुट और ब्रेड बनाने जैसी गतिविधियां शामिल हैं।

खस्ताहाल खेती लगातार दो साल सूखे की मार के चलते किसानों की स्थिति बहुत खराब हो गयी है। हाल यह है कि एक किसान परिवार की औसत मासिक आय मात्र 6426 रुपये है जबकि महीने का खर्च 6,223 रुपये है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि किसान परिवार की औसत मासिक आय का 60 प्रतिशत खेती से और 32 प्रतिशत मजदूरी से आता है जबकि मात्र 8 प्रतिशत ही गैर-कृषि कामकाज से आता है।

ऐसे में सरकार की कोशिश है कि सूक्ष्म और लघु व्यवसायों को प्रोत्साहित कर किसानों की आय को इतना बढ़ाया जा सके जिससे कि खेती पर संकट आने पर उनकी आय का स्तर अचानक से काफी नीचे न गिरे।

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क्या है मुद्रा योजना?

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरुआत 8 अप्रैल 2015 को हुई। इसके तहत नॉन-कारपोरेट क्षेत्र में लघु व्यवसायिक गतिविधियों के लिए तीन प्रकार का लोन बिना कुछ गिरवी रखे दिया जाता है। पहला, 50,000 रुपये तक का लोन जिसे ‘शिशु’ कहते हैं, दूसरा ‘किशोर’ लोन होता है जिसके तहत 50 हजार रुपये से 5 लाख रुपये तक लोन मिलता है और तीसरा ‘तरुण’ लोन होता है जिसके तहत पांच लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक का लोन दिया जाता है। वित्त वर्ष 2015-16 में इस योजना के तहत लगभग साढ़े तीन करोड़ लोगों को 1.32 लाख करोड़ रुपये का ऋण मुहैया कराया जा चुका है।

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