करवा चौथ माता का प्रसिद्ध मंदिर, जहां माता करती है सबकी मुराद पूरी
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कोई संतान प्राप्ति तो कोई सुख-समृद्धि की कामना देकर चौथमाता के दर्शन को आता है। माना जाता है कि माता सभी कि मनोकामनाएं पूर्ण करती है।
करवा चौथ हिंदू धर्म का मुख्य त्योहारों में से एक है। शास्त्रों के अनुसार यह त्योहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस व्रत को सुहागनें स्त्रियां रखती है। आज पूरा देश की महिलाएं यह व्रत बड़े ही धूम-धाम से बना रहे है। इस अवसर में हम आपको ऐसे मंदिर के बारें में बता रहें है जो चौथ माता के नाम से जाना जाता है।
यह मंदिर भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक है। चौथ माता का यह मंदिर सवाभ माधोपुर, राजस्थान में है। इस मदिर में लाखों श्रृद्धालु दर्शन के लिए आते है। जानिए इस मंदिर के बारें में।
यह मंदिर सवाई माधोपुर के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है। माना जाता है कि इसकी स्थापना शासक भीम सिंह ने साल 1452 में किया था। इसके बाद इस मंदिर के रास्ते में बिजल की छतरी और तालाब साल 1463 में बनवाया गया। यह मंदिर शहर से 35 किमी दूर एक पहाड़ी की चोटी में बना है। यह मंदिर सफेद संगमरमर के पत्थर से खूबसूरती से बनाया गया है। दीवारों और छत पर जटिल शिलालेख के साथ यह वास्तुकला की परंपरागत राजपूताना शैली के लक्षणों को प्रकट करता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। महाराजा भीम सिंह, जो पंचाल के पास के गांव से चौथ माता की मूर्ति लाए थे, उनके द्वारा यह मंदिर बना वाया गया था। चौथ माता के अलावा यहां पर श्री गणेश और भैरव बाबा की मूर्ति विराजित है।
इस मंदिर का दरबार बहुत ही आलीशान है जिसे देखकर आप अभिभूत हो जाएगें। 16 वीं शताब्दी में यह कस्बा चौहान राज वंश से मुक्त होकर राठौड़ वंश के अधीन आ गया। इस वंश के शासकों में भी माता के प्रति गहरी आस्था थी। तेज सिंह राठौड़ ने 1671 में मुख्य मंदिर के दक्षिण में एक तिबारा बनाया। हाड़ौती क्षेत्र के लोग हर शुभ कार्य से पहले चौथमाता को निमंत्रण देते हैं।
प्रगाढ़ आस्था के कारण बूंदी राजघराने के समय से ही इसे कुल देवी के रूप में पूजा जाता है। माता के नाम पर कोटा में चौथमाता बाजार भी है। कोई संतान प्राप्ति तो कोई सुख-समृद्धि की कामना देकर चौथमाता के दर्शन को आता है। माना जाता है कि माता सभी कि मनोकामनाएं पूर्ण करती है।
अगर आप यहां जाने कि सोच रहें है तो आप कभी भी जा सकते है, लेकिन इस मंदिर का महत्व नवरात्र और करवा चौथ में अलग होता है। यह मंदिर लोगों की सुविधा को देखकर भी मनाया जाता है। इस मंदिर में पहुचनें के लिए आप जयपुर जा सकते है अपनी सुविधा अनुसार यानी कि बस, ट्रेन ये प्लेन से। जिसके बाद आफ किसी भी गाड़ी से बलवारा पहुंच सकते है।
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