
कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी से कोई निष्कर्ष न निकालें। मुख्यमंत्री उम्मीदवार का फैसला उचित स्तर पर होगा और उससे सभी नेताओं को अवगत भी कराया जाएगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । उत्तराखंड में भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवारों को लेकर कांग्रेस में हो रही बयानबाजी ने पार्टी नेतृत्व को सतर्क कर दिया है। प्रदेश के नेताओं को संदेश दिया गया है कि सामूहिक रूप से सत्ता में वापसी के लिए जमीन पर काम करें। कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी से कोई निष्कर्ष न निकालें। मुख्यमंत्री उम्मीदवार का फैसला उचित स्तर पर होगा और उससे सभी नेताओं को अवगत भी कराया जाएगा।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में भाजपा के पास बड़े नेताओं की कतार है। कुछ लोग जहां दौड़ से बाहर माने जा रहे हैं। वहीं कुछ नेताओं की ओर से खुद को अग्रणी रखने की कवायद तेज है। नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट जहां यह माने बैठे हैं कि छींका टूटा तो उनके ही हिस्से में आएगा। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक से मिलकर यह दिखा चुके हैं कि राज्य का सबसे ज्यादा विकास उनके ही वक्त में हुआ था। ऐसे में प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की ओर से राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी का नाम उछाला जाना अहम है।
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उन्होंने सीधे सीधे यह संकेत दिया था कि बलूनी ही भाजपा के मुख्यमंत्री दावेदार होंगे। बाद में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी यह कहकर उपाध्याय के बयान को हवा दे दी कि भाजपा में चमत्कार होता रहता है। अगर मनोहर लाल खट्टर और देवेंद्र फडनवीस मुख्यमंत्री हो सकते हैं तो उत्तराखंड में भी भाजपा कोई निर्णय ले सकती है।
अनिल बलूनी ने इस बाबत सवाल पूछे जाने पर कहा- ‘कांग्रेस मंथरा का काम कर रही है। वह भाजपा के अंदर आग लगाना चाहती है। सच्चाई यह है कि कांग्रेस अभी से चुनाव हार चुकी है और इसीलिए अपनी पार्टी को छोड़कर भाजपा के अंदरूनी मसले पर बयानबाजी कर रही है।’
सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस नेताओं की ओर से आ रहे बयानों पर पार्टी के शीर्ष नेताओं की भी नजर है। उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में एक फीसद वोट का भी हेरफेर बड़ा बदलाव ला सकता है। लिहाजा किसी भी खींचतान से बचने का निर्देश दिया गया है। बताते हैं कि सभी बड़े नेताओं को व्यक्तिगत तौर पर भी आगाह किया गया है।