इसीलिए इसे देवोत्थान एकादशी कहते हैं

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तो ईश्वर अपने कर्तव्यों के प्रति जाग रहे हैं, तो हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम भी अपने दुर्गुणों को त्यागकर जागरण के इस पर्व को सफल करें।

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