आईआईटी जेईई : सेल्फ– स्टडी के 5 टिप्स
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यह लेख आईआईटी जेईई और अन्य परीक्षाओं के लिए सेल्फ– स्टडी के महत्व से सम्बंधित कुछ तथ्यों पर प्रकाश डालता है। कुछ टिप्स हैं जिन्हें यदि आप नियमित रूप से अपनाएं तो आपको अच्छे नतीजे मिल सकते हैं। ये हैं– प्रेरित रहें, दिनचर्या बनाएं, उचित स्टडी मटेरियल प्राप्त करें, समय का अच्छा प्रबंधन करें, पीयर स्टडी ग्रुप्स बनाएं (समकक्षों का अध्ययन समूह बनाएं) आदि। यह लेख आपके मनोबल को बढ़ाएगा और आपकी तैयारी में मदद करेगा।
जेईई मेन 2017 की परीक्षा अगले वर्ष अप्रैल के महीने में प्रायोजित है। इंजीनियरिंग में दाखिला लेने की इच्छा रखने वाले छात्रों ने अपनी आईआईटी जेईई की तैयारी की रणनीति में मौजूद खामियों को दूर करना शुरु कर दिया है। अलग–अलग जेईई कोचिंग क्लासेज में पढ़ने वाले छात्रों के लिए कक्षा की अवधि बढ़ा दी गई है और अक्सर होने वाले सरप्राइज टेस्ट के साथ मेंटर और शिक्षक रीविजन के मोड में आ चुके हैं। खुद के बूते परीक्षा देने का फैसला करने वाले छात्रों के लिए सफल होना बहुत बड़ी चुनौती है। जेईई मेन 2017 और जेईई एडवांस्ड 2017 के लिए सेल्फ– स्टडी का विकल्प चुनने वाले ज्यादातर छात्र खुद को फोकस्ड और प्रेरित रखने में असर्मथ हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि सेल्फ– स्टडी सर्वश्रेष्ठ होती है और सभी संभावनाओं में यह सबसे प्रभावी आईआईटी जेईई तैयारी रणनीति साबित होती है l लेकिन उम्मीदवारों को इस तरीके से सफल होने के लिए कुछ विशेष टिप्स और ट्रिक्स की भी जरूरत है।
यदि आप भी जेईई मेन्स 2017 या जेईई एडवांस्ड 2017 की तैयारी खुद ही कर रहे हैं, तो नीचे दिए जा रहे सेल्फ– स्टडी टिप्स आपके लिए काफी फायदेमंद होंगे।
प्रेरित रहें/ उत्साहित रहें
जेईई मेन्स परीक्षा 2017 की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए प्रेरणा सबसे मूल आधार है। हर विषय में बढ़ती जटिलताओं के साथ एक प्रमुख संस्थान में इंजीनियरिंग की सीट प्राप्त करना चुनौतियों से भरा है। लेकिन उच्च प्रतिस्पर्धा अनुपात और व्यापक सिलेबस के संदर्भ में आईआईटी जेईई की परीक्षा में पास होने के लिए कड़ी मेहनत, प्रतिबद्धता और समर्पण अनिवार्य है।
जेईई के उम्मीदवारों को इनके साथ– साथ रोजाना कई और मुद्दों से निपटना पड़ता है। इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के लिए सेल्फ–स्टडी की राह पर चलने वाले छात्रों के लिए चुनौती बहुत जटिल हो जाती है। कोर्स में बने रहने में मदद करने के लिए इन छात्रों के पास कोई शिक्षक नहीं होता इसलिए आईआईटी जेईई की तैयारी रणनीति पर बने रहना चुनौती भरी हो सकती है।
अतः इस प्रकार के छात्रों के लिए प्रेरणा जीवन– रक्षक जैसी होती है। यदि आप आईआईटी जेईई के अंतिम कट–ऑफ को प्राप्त करने के अपने लक्ष्य की राह में आने वाली सभी बाधाओं को पार करने हेतु पर्याप्त रूप से प्रेरित और फोकस्ड हैं तो आपको आपकी पसंद के कॉलेज/ संस्थान में इंजीनियरिंग की सीट हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता।
अपनी एक दिनचर्या / रूटीन बनाएं
आईआईटी जेईई कोचिंग क्लासेज करने वाले छात्रों के पास दैनिक टाइम टेबल होता है। सुबह या शाम में क्लास जाना और बीच के समय में स्कूल जाना या सेल्फ स्टडी करना। जेईई 2017 की खुद से तैयारी करने वाले छात्रों के लिए दैनिक टाइम टेबल के अनुसार काम करना और अनुशासन बनाए रखना बेहद अनिवार्य है।
इसलिए उन्हें एक ऐसा टाइम टेबल बनाना चाहिए जिसमें जेईई परीक्षा और बोर्ड की परीक्षा की तैयारी एवं स्वस्थ शरीर हेतु सारी जरूरतें पूरी हो रही हों और आराम करने का भी पूरा समय मिल रहा हो। लेकिन ध्यान देने की बात यह है कि कागज पर टाइम टेबल तैयार करना और उसका पालन करना अलग– अलग चीजें हैं। इसलिए अपने अध्ययन की सभी जरूरतों को पूरा करने वाले बेहतरीन टाइम टेबल तैयार करने के साथ– साथ आपको यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि वह व्यावहारिक और लक्ष्यों को पूरा करने वाला हो।
स्टडी मटेरियल्स (अध्ययन सामग्री)
आईआईटी जेईई टेस्ट के लिए सेल्फ– स्टडी की राह चुनने वाले छात्रों द्वारा बताई गई कई परेशानियों में से एक है विश्वसनीय एवं लक्षित स्टडी मटेरियल्स की अनुपलब्धता। कोचिंग क्लासेज में पढ़ाने के साथ साथ अनुभवी शिक्षकों द्वारा तैयार किये गए नोट्स प्रदान किये जाते हैं l इसके अतिरिक्त यहाँ नियमित होने वाले टेस्ट, गेस पेपर और क्विक टिप्स, जेईई मेन्स में सफल होने का सबसे सही रास्ता बताते हैं। लेकिन बहुत अधिक स्टडी मटेरियल और बहुत कम समय भी एक समस्या है।
इसलिए इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा की खुद से तैयारी करने वाले छात्रों के पास इस परिस्थिति का पूर्ण लाभ उठाने का मौका है।
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समय प्रबंधन
किसी भी प्रकार की परीक्षा तैयारी करने वाले किसी भी छात्र को सबसे अधिक और बार– बार दिया जाने वाला सलाह है समय प्रबंधन। जेईई की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए यह और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि समय बहुत कम बचा है और पठन सामग्री और सिलेबस के लिहाज से अभी काफी कुछ पढ़ना बाकी रहता है।
समय प्रबंधन दिनचर्या बनाने और उसका पालन करने से बहुत अधिक है। इसका अर्थ है समय का इस प्रकार नियोजन कि वह आपके अल्प कालिक (दैनिक) कार्यों को पूरा करने में मदद करें साथ ही जेईई मेन/ जेईई एडवांस्ड में सफल होने के दीर्घ कालिक लक्ष्य की दिशा में नियमित रूप से आपको आगे बढ़ाए। समय प्रबंधन तीन मुख्य अवधारणाओं को कवर करता है–
- समय का चयन : जेईई की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वे पढ़ाई के लिए सही समय को चुनें। ऐसा समय जब वे मानसिक और शारीरिक रूप से पढ़ने की स्थिति में हों और जटिल अवधारणाओं तक को आसानी से समझ सकें। प्रत्येक छात्र के लिए पढ़ाई का सही समय अलग– अलग होता है, इसलिए इस मामले में सेल्फ– स्टडी से तैयारी में जुड़े छात्रों को अपने अनुसार तैयारी करनी होगी ।
- प्राथमिकता तय करना : पढ़ाई के लिए सही समय के साथ, समय प्रबंधन और पढ़ाई के लिए सही विषय के चुनाव से भी जुड़ा है। यदि किसी अवधारणा या विषय को पूरा करने में 4 घंटे का समय लगने वाला है तो उसे उस समय पढ़ना बिल्कुल भी सही नहीं होगा जब आपके पास पढ़ाई के लिए सिर्फ एक घंटा बचा हो। ऐसी स्थिति से बचने के लिए कौन सा विषय/ अवधारणा कितना समय लेगा, इसकी प्राथमिकता तय करना और चुनना भी सही समय प्रबंधन का हिस्सा है।
- लक्ष्य आधारित समयसीमा : क्या आपने कभी महसूस किया है कि घंटों तक पढ़ाई करने के बाद भी आप जिस अवधारणा को समझना चाहते हैं उसे बिल्कुल नहीं समझ पाए हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपने अपने पढ़ाई की तकनीकों में लक्ष्य आधारित दृष्टिकोण नहीं अपनाया। समय प्रबंधन लक्ष्य आधारित समयसीमा को परिभाषित करने में भी आपकी मदद करेगा जिससे विषयों को पूरा करने और उसके दायरे में आने वाले अवधारणाओं में महारत हासिल करने में आपको मदद मिलेगी।
पीयर स्टडी ग्रुप्स (समकक्षों का अध्ययन समूह)
कोचिंग क्लासेज, एक जैसे दिमाग वाले प्रतिभाशाली छात्रों को प्रतिस्पर्धी माहौल प्रदान कर आईआईटी– जेईई छात्रों की मदद करते हैं। जब बात जेईई की तैयारी की आती है तो इंजीनियर बनने की इच्छा रखने वाले प्रतिभाशाली छात्रों के पूल के साथ प्रतिस्पर्धा करना अक्सर प्रतिस्पर्धा को कठिन बना देता है। लेकिन गौरतलब है कि स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिए जरूरी नहीं कि आप कोचिंग क्लासेज ज्वाइन करें। जेईई की तैयारी करने वालों का पीयर स्टडी ग्रुप्स बनाकर भी ऐसा आसानी से किया जा सकता है।
ऐसे ग्रुप्स अधिक प्रभावी होते हैं क्योंकि इनका लक्ष्य एक होता है। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धी होने के बजाय ग्रुप के सदस्य एक दूसरे की खूबियों पर फोकस करने और खामियों को दूर करने में मदद करते हैं।
कैसे बने एक सफल इंजीनियर?
Highlights
- Citing safety concerns, non-Kashmiri students demand
- They are also calling for action against cops who lathicharged students
- NIT campus has been tense since students clashed over Indias T20 defeat
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