अभी भी साहूकार पर निर्भर हैं छोटे व मझोले किसान, नहीं मिल रहा बैंक कर्ज

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अभी भी साहूकार पर निर्भर हैं छोटे व मझोले किसान, नहीं मिल रहा बैंक कर्ज

देश में छोटे-मझोले किसान 85 फीसद हैं, लेकिन बैंक कर्ज मात्र छह फीसद किसानों को ही मिलता है। जिसके चलते इन्हें कर्ज के लिए साहूकारों व सूदखोरों पर निर्भर होना पड़ता है।

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। कृषि कर्ज का आंकड़ा भले ही साढ़े आठ लाख करोड़ के लक्ष्य को पार कर गया हो लेकिन बड़ी संख्या में छोटे और मझोले किसान अब भी बैंक से ऋण पाने को मोहताज हैं। छोटे व मझोले किसानों की आबादी वैसे तो कुल किसानों की संख्या में 85 प्रतिशत है लेकिन कर्ज में इनकी हिस्सेदारी मात्र छह प्रतिशत है। इनमें से बहुत से किसान अब भी कर्ज लेने को साहूकारों और सूदखोरों पर निर्भर हैं।

कृषि गणना 2010-11 के अनुसार देशभर में 13.8 करोड़ कृषि जोत हैं जिसमें से 11.7 करोड़ यानी 85 प्रतिशत जोत छोटे और मझोले क्षेत्र की हैं। देश में 43 फीसद बुआई इन छोटी और मझोली जोत में होती है। लेकिन छोटे और मझोले किसानों की कर्ज में हिस्सेदारी मात्र छह प्रतिशत है।

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वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक मार्च 2015 तक की स्थिति के अनुसार बैंकों के कुल समायोजित शुद्ध बैंक ऋण (एएनबीसी) का मात्र छह प्रतिशत ही छोटे और मझोले किसानों को दिया गया है। एएनबीसी में बैंकों द्वारा दिया गया शुद्ध ऋण तथा सरकारी बांड्स को छोड़कर अन्य जगह किया गया निवेश शामिल होता है। इस दृष्टि से छोटे और मझोले किसानों को बैंकों से काफी कम ऋण मिलता है।

सरकारी संस्था नेशनल सेंपल सर्वे ऑफिस की एक ताजा रिपोर्ट भी बताती है कि मात्र 43 प्रतिशत किसानों को ही बैंक से ऋण की सुविधा प्राप्त है जबकि 25 प्रतिशत किसान अब भी कर्ज के लिए साहूकारों पर निर्भर हैं। ‘भारत में कृषक परिवारों की आय, व्यय, उत्पादक परिसंपत्तियां और ऋणग्रस्तता’ शीर्षक वाली एनएसएसओ की इस रिपोर्ट के मुताबिक सूदखोरों से सबसे ज्यादा ऋण छोटे किसान ही लेते हैं।

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सूत्रों ने कहा कि विगत में रिजर्व बैंक ने छोटे और मझोले किसानों को आसानी से कर्ज मुहैया कराने को प्राथमिक क्षेत्र के उधारी संबंधी दिशानिर्देशों में इस ओर ध्यान भी दिया था। आरबीआइ ने किसानांे के लिए प्राथमिक क्षेत्र के तहत 8 प्रतिशत ऋण किसानांे को देने का लक्ष्य तय किया था। हालांकि अब तक यह लक्ष्य हासिल नहीं हुआ है।

उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2016-17 में नौ लाख करोड़ रुपये कृषि ऋण का लक्ष्य रखा है जिसमें से 6.25 लाख करोड़ रुपये ऋण व्यावसायिक बैंकों को ही करना है। शेष ऋण की जिम्मेदारी सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों पर डाली गयी है। पिछले वित्त वर्ष में कृषि ऋण का लक्ष्य 8.5 लाख करोड़ रुपये था जबकि बैंकों ने 8,77,224 करोड़ रुपये कृषि ऋण दिया।

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