अपने इलाके के टावर की रेडिएशन जानिए!
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सरकार ने मोबाइल टावर से रेडिएशन की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने इलेक्ट्रोमैगनेटिक फ्रीक्वेंसी (ईएमएफ) पोर्टल लांच करने का फैसला किया है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अपने इलाके के मोबाइल टावरों से होने वाले विकरण यानी रेडिएशन की जानकारी अब आप घर बैठे हासिल कर सकेंगे। सरकार व कंपनियों के तमाम दावों के बावजूद लोग यह मानने को तैयार नहीं है कि मोबाइल टावर के रेडिएशन से बीमार नहीं पड़ते। बहरहाल, इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने इलेक्ट्रोमैगनेटिक फ्रीक्वेंसी (ईएमएफ) पोर्टल लांच करने का फैसला किया है।
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इस वेबसाइट पर देश में लगाये गये हर मोबाइल टावर से कितनी विकरण हो रही है इसकी जानकारी ली जा सकेगी। इसका फायदा यह होगा कि हर व्यक्ति अपने इलाके के टावरों से होने वाले रेडिएशन की जानकारी ले सकेगा और अगर इसे सामान्य स्तर से ज्यादा पाता है तो इसके बारे में संबंधित अधिकारियों को दे सकता है। इससे देश में कॉल ड्रॉप की समस्या से निपटने में भी मदद मिलेगी।
दूरसंचार विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पोर्टल पर देश में मौजूदा 4.30 लाख टावरों से होने वाले रेडिएशन और उस इलाके में कितनी रेडिएशन की इजाजत है, इसकी जानकारी रहेगी। इस बारे में पिछले दो वर्षों से पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र व मुंबई समेत कई इलाकों में परीक्षण किया जा रहा था। इन परीक्षण से सरकार संतुष्ट है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि लोगों में मोबाइल टावरों को लेकर जारी भ्रांतियां दूर होंगी।
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संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद कई बार यह कह चुके हैं कि कॉल ड्रॉप की समस्या के लिए इस तरह की भ्रांतियां प्रमुख तौर पर जिम्मेदार हैं। जबकि देश के पांच उच्च न्यायालयों ने अपने आदेश में और तमाम बड़े अध्ययनों से यह बात साफ हो गई है कि मोबाइल टावर से स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं होता।
इसके बावजूद लोग यह बात स्वीकार नहीं करते। टावर नहीं लगने से मोबाइल फोन में कॉल ड्रॉप की समस्या आती है। प्रसाद ने लोगों से यह आग्रह भी किया है कि वे मोबाइल टावर लगाने की इजाजत दे। उन्होंने खुद सभी राज्यों से पत्र लिख कर सरकारी भवनों पर टावर लगाने की बात कही है।
सूत्रों के मुताबिक भारत में किसी मोबाइल टावर से रेडिएशन की मात्रा को लेकर पहले से ही काफी कड़े नियम बने हुए हैं। पोर्टल से अब इन मानकों का पालन हो रहा है या नहीं यह पता चल सकेगा। आम जनता नियमों का पालन नहीं होने पर मोबाइल कंपनियों या सरकार को कटघरे में खड़ा कर सकेगी।
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